लाभ-हानि खाता (Profit And Loss Accounts)
इसे शुद्ध लाभ या हानि ज्ञात करने के लिये तैयार किया जाता है। इसमें व्यापार या संस्था के समस्त आगम (Revenue) (आयगत) एवं अप्रत्यक्ष खर्चो (Indirect Expenses) को डेबिट (Debit) पक्ष की ओर दर्शाया जाता है एवं आगम (Revenue) (आयगत) एवं अप्रत्यक्ष आय (Indirect Income) जैसे प्राप्त कमीशन, प्राप्त छूट, प्राप्त ब्याज आदि को क्रेडिट पक्ष की ओर दर्शाया जाता है। एवं व्यापार खाते से लाया गया सकल लाभ क्रेडिट(Credit) पक्ष की ओर और यदि सकल हानि हो तो डेबिट*(Debit) पक्ष की ओर दर्शायी जाती है।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि अवास्तविक खातों (Nominal Account) से संबंधित समस्त खातों के शेष लाभ-हानि खाते में लिखा जाता है यदि क्रेडिट शेष हो तो उसे शुद्ध लाभ लिखकर डेविट पक्ष में दर्शाया जाता है। इसके विपरीत यदि डेबिट शेष हो तो शुद्ध हानि लिखकर क्रेडिट पक्ष में लिखा जाता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें